CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्।
निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥
[श्रीमद्भगवद्गीता 2.47]


There is no village or human settlement around. Recently a Sanskrat Vidyalay has been establish by the relentless efforts of Dr. Vibhuti Singh Sharma of Shakoi village, who had been a former Pradhan of Shakoi village and a retired lecturer in Political Science in Anup Shahr due to the reverence to his Guru Brahm Chari Ji.

अवंतिका देवी मंदिर का उल्लेख महाभारत और श्रीमद्भागवद में भी हुआ है।अविवाहित कन्याएँ यहाँ शीघ्र और अच्छे विवाह की कामना से सिन्दूर और देशी घी का चोला चढ़ाती हैं। यह स्थल आबादी से दूर है, मगर यहाँ धर्मशाला और एक संस्कृत विद्यालय है। डॉक्टर विभूति सिंह शर्मा-भूतपूर्व ग्राम प्रधान शकोई गाँव, जो कि अनूपशहर में राजनीति शास्त्र के प्रवक्ता थे, ने अपने आध्यात्मिक गुरु के प्रति श्रद्धा वश अथक प्रयास करके यहाँ संस्कृत विद्यालय का निर्माण कराया। मन्दिर के पास वृक्षों में बन्दरों के बड़े-बड़े झुण्ड रहते हैं जो कि आवाज देते ही प्रसाद ग्रहण करने आ जाते हैं। वे यात्रियों को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुँचाते। अहार के नजदीक स्थित यह पावन स्थल अनूपशहर तहसील में जिला बुलन्द शहर का सबसे प्राचीन मन्दिर है।

अवंतिका देवी के परम पवित्र मंदिर का महत्व एवं प्रसिद्धि बहुत अधिक है। पृथ्वी पर जितनी भी सिद्धपीठ हैं, वे सब सती जी के अंग हैं, लेकिन यह सिद्ध पीठ माँ सती का अंग नहीं है। इस सिद्ध पीठ में जगत जननी करुणामयी माँ भगवती अवंतिका-अम्बिका देवी साक्षात् प्रकट हुई थीं। मंदिर में दो संयुक्त मूर्तियां हैं, जिनमें बाईं तरफ मांँ भगवती जगदम्बा की है और दूसरी दायीं तरफ सतीजी की प्रतिमा है। यह दोनों मूर्तियाँ अवंतिका देवी के नाम से प्रतिष्ठित हैं। रुक्मिणी जी ने भगवान् श्री कृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिए इन्हीं अवंतिका देवी का पूजन किया था। तत्पश्चात भगवान् श्री कृष्ण ने इसी मंदिर से रुक्मिणी की इच्छा के अनुरूप, उनका हरण किया था।

रुक्मिणी जी बाल्यावस्था से ही यहाँ देवी की आराधना करती थीं। पूजन करने के पश्चात् प्रतिदिन माँ भगवती अवंतिका देवी से प्रार्थना करती थीं कि हे जगतजननी, हे करुणामयी माँ भगवती! मुझे श्री कृष्ण ही वर के रूप में प्राप्त हों। रुक्मिणी जी जब विवाह योग्य हुईं तो उनके पिता राजा भीष्मक को उनके विवाह की चिंता हुई। राजा भीष्मक को जब यह मालूम हुआ कि रुक्मिणी श्री कृष्ण को पति के रूप में चाहती हैं तो वे इस विवाह के लिए सहर्ष तैयार हो गये। जब इस विवाह के बारे में राजा भीष्मक के सबसे बड़े पुत्र रुक्मी को मालूम हुआ तो उसने श्री कृष्ण-रुक्मिणी विवाह का विरोध किया। राजकुमार रुक्मी ने रुक्मिणी जी का विवाह चेदि नरेश राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से उनके हाथ में मौहर बाँधकर तय कर दिया। शिशुपाल ने अपनी सेना को विवाह से तीन दिन पहले ही कुण्डिनपुर के चारों ओर तैनात कर दिया और हुक्म दिया कि श्री कृष्ण को देखते ही बंदी बना लिया जाए। राजकुमारी को जब यह मालूम हुआ कि उनका बड़ा भाई रुक्मी उनका विवाह शिशुपाल के साथ करना चाहता है तो वह बहुत दु:खी हुईं।राजकुमारी रुक्मिणी ने एक ब्राह्मण के माध्यम से भगवान् श्री कृष्ण के पास द्वारिका संदेश भेजा कि उन्होंने मन ही मन भगवान् श्री कृष्ण को पति के रूप में वरण कर लिया है, परन्तु उसका बड़ा भाई रुक्मी उनका विवाह उनकी इच्छा के विरुद्ध, जबरन चेदि के राजा के पुत्र शिशुपाल के साथ करना चाहता है। इसलिए वह वहाँ आकर उनकी रक्षा करें। रुक्मिणी की जी रक्षा की गुहार पर भगवान् श्रीकृष्ण अहार पहुँचे तथा रुक्मिणी की इच्छानुसार इसी माता अवंतिका देवी मंदिर से रुक्मिणी का हरण उस समय किया जब वह मंदिर में पूजन करने गयी थीं। हरण के समय रथ को रुक्मणी जी चला रही थीं।

बुलंदशहर :: जनसंख्या :- 50 लाख, क्षेत्रफल :- 4,352 वर्ग किलोमीटर, टेलीफोन कोड :- 05632। यह भारत में उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है। बुलंदशहर, अनूपशहर, खुर्जा, स्याना, डिबाई, सिकंदराबाद व शिकारपुर इसके प्रमुख नगर हैं। यह जनपद का मुख्यालय नगर है। यहाँ ब्रिटिश कालीन टाउन हॉल है, जिसमें वर्तमान में जिला निर्वाचन कार्यालय है। यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दिल्ली से 64 किलोमीटर की दूरी पर बसा है। काली नदी इसको छूकर बहती है। अब तक पिछले 70 साल में इसमें केवल एक बार बाढ़ आयी थी जबकि पानी साठा तक पहुँच गया था। यह शहर मुखयतः सड़कों से मेरठ, अलीगढ़, बदायूं, गौतम बुद्ध नगर व गाजियाबाद से जुड़ा है। बुलंदशहर जनपद के नरौरा क्षेत्र में गंगा के किनारे भारत वर्ष में विद्यमान परमाणु विद्युत ताप ग्रह में से एक विद्युत ताप ग्रह स्थापित व सुचारू रूप से प्रयोग में है।
इसका प्राचीन नाम बरन था। इसका इतिहास लगभग 1,200 वर्ष पुराना है। इसकी स्थापना अहिबरन नाम के राजा ने की थी। बुलन्द शहर पर उन्होंने बरन टॉवर की नींव रखी थी। राजा अहिबरन ने एक सुरक्षित किले का भी निर्माण कराया था जिसे ऊपर कोट कहा जाता रहा है। इस किले के चारों ओर सुरक्षा के लिए नहर का निर्माण भी किया गया था, जिसमें इस ऊपर कोट के पास ही बहती हुई काली नदी के जल से इसे भरा जाता था। राजा अहिबरन ने इस सुरक्षित परकोटे में अपनी आराध्या कुलदेवी माँ काली के भव्य मंदिर की भी स्थापना की थी। मुगल काल के दौरान इस किले (नगर) पर आधिपत्य के बाद औरंगजेब के प्यादे द्वारा यहाँ जन विध्वंस भी हुआ व भारी संख्या में हिन्दुओं को जबरन मुस्लिम बनाया गया और काली मंदिर को ध्वंस कर के काली मस्जिद में रूपांतरित कर दिया गया।
ब्रिटिश काल में यहाँ राजा अहिबरन के वंशज राजा अनूपराय ने भी यहाँ शासन किया जिन्होंने अनूपशहर नामक शहर बसाया उनकी शिकारगाह आज शिकारपुर नगर के रूप में प्रसिद्ध है। मुगल काल के अंत और ब्रिटिश काल के उद्भव समय में जनपद में ही मालागढ़ रियासत, छतारी रियासत व दानपुर रियासत की भी स्थापना हो चुकी थी जिनके अवशेष आज भी जनपद में विद्यमान है। दानपुर रियासत का नबाब जलील खान कट्टर इस्लामिक था और छतारी रियासत ब्रिटिश परस्त रही।
बुलन्दशहर भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के ठीक पश्चिम में स्थित है। पूर्व में गंगा नदी व पश्चिम में यमुना नदी इसकी सीमा बनाती है। बुलन्दशहर के उत्तर में मेरठ तथा दक्षिण में अलीगढ़ ज़िले हैं। पश्चिम में राजस्थान राज्य पड़ता है। इसका क्षेत्रफल 1,887 वर्ग मील है। यहाँ की भूमि उर्वर एवं समतल है। गंगा की नहर से सिंचाई और यातायात दोनों का काम लिया जाता है। निम्न गंगा नहर का प्रधान कार्यालय नरौरा स्थान पर है। वर्षा का वार्षिक औसत 26 इंच रहता है। पूर्व की ओर पश्चिम से अधिक वर्षा होती है।
सबसे निकटतम हवाई अड्डा इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। बुलन्दशहर से दिल्ली 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अब शीघ्र ही जेवर में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण कार्य शुरू होने जा रहा है। यहाँ से दिल्ली हवाई अड्डे को मेट्रो से भी जोड़ा जायेगा। यहाँ पर अंतर्राज्यीय बस अड्डे का प्रावधान भी किया जा रहा है।
भारत के कई प्रमुख शहरों से रेलमार्ग द्वारा बुलन्दशहर पहुँचा जा सकता है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन हापुड़ है।
बुलन्दशहर सड़क मार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। दिल्ली, आगरा, अलीगढ़ और जयपुर आदि शहरों से सड़कमार्ग द्वारा जुड़ा है।
दूध के कारोबार में बुलंदशहर देश में अपनी एक नयी पहचान बना रहा है। बुलंदशहर की पारस डेरी मधुसूधन डेरी सेवा डेरी जिले के साथ-साथ दिल्ली को भी दूध मुहैया करा रही है। कुछ स्थानों पर राजपूतों, गुर्जरो, जाटों, कृषक ब्राह्मणों और लोधों के परिश्रम से भूमि कृषि योग्य कर ली गई है। यहाँ की मुख्य उपजें गेहूँ, चना, मक्का, जौ, ज्वार, बाजरा, कपास एव गन्ना आदि हैं। सूत कातने, कपड़े बनाने का काम जहाँगीराबाद में, बरतनों का काम खुर्जा, हापुड़ की गुड़ और अनाज मंडी विश्व प्रसिद्द थी। लकड़ी का काम बुलंदशहर व शिकारपुर में होता है। काँच से चूड़ियाँ, बोतलें आदि भी बनती हैं।जेवर का घेवर बहुत प्रसिद्द था।
खुर्जा में बनने वाली क्रॉकरी विश्व प्रसिद्ध है। गणतंत्र दिवस पर जिले का नाम बढ़ने वाली क्रॉकरी खुर्जा में ही बनाई जाती है। करघे से कपड़ा बुना जाता है। नगर बुलन्दशहर में पानी के हेंडपम्प बनाने की भी कई ईकाई है। खुर्जा व बुलन्दशहर नगर में कई नामी आयुर्वेदिक चिकित्सक भी रहे है। पिलखुआ में वस्त्र निर्माण का कार्य प्रसिद्द है। यहाँ के खेस किसी वक्त में बहुत प्रसिद्द थे।
बुलन्दशहर जनपद पर्यटन की दृष्टि से भी भारतवर्ष में उत्तम स्थान है। जनपद बुलंदशहर महान संतों, वैद्यों व योगियों की जन्म व् कर्म भूमि रहा है। यहाँ पर महाभारतकालीन साक्ष्य भी प्रमाण स्वरूप प्राप्त हुए है। वर्तमान में भी कई उच्च स्थिति संत व योगी यहाँ निवास करते है क्योकिं यह जनपद दो महत्त्वपूर्ण नदियों गंगा व यमुना के मध्य स्थित है और इस कारण से यह पवित्र भूमि है।
नगर के मध्य काला आम चौराहे पर पार्क है, जिसमें ब्रिटिश काल का विक्टोरिया क्लॉक टावर आज भी है। काला आम चौराहा शहीदों की वीर भूमि है। इसका वर्तमान में नामकरण शहीद भगत सिंह के नाम पर शहीद चौक है, यहाँ पर ब्रिटिश अधिकारी क्रांतिकारियों को सरेआम फाँसी पर लटकाते थे।इसी वजह से इसे क़त्ल ए आम चौराहा कहते थे, जो वर्तमान में अपभ्रन्शित होकर काला आम हो गया।
नगर में स्वयंभू शिवलिंग मंदिर है, जिसका नाम राजराजेश्वर मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण राजा अनूपराय ने कराया था। नगर में तीन पुरातन मंदिर हैं, भूतेश्वर महादेव, कालेश्वर मंदिर और देवी भवन मंदिर। नगर के चौक बाज़ार में प्राचीन राम मंदिर है और वही मंदिर के सड़क पार स्वयंभू प्रकट हैं सिद्ध हनुमान जी, जहाँ मंगलवार व शनिवार को भक्तों की भारी भीड़ रहती है।
कुचेसर का मिट्टी का किला और ऊँचा गाँव के किले को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। ऊँचे गॉंव के राजा सुरेंद्र पल सिंह विदेश मंत्री रह चुके थे।
यह जनपद का मुख्यालय नगर है। यहाँ ब्रिटिश कालीन टाउन हॉल है, जिसमें वर्तमान में जिला निर्वाचन कार्यालय है। नगर के मध्य काला आम चौराहे पर पार्क है जिसमें ब्रिटिश काल का विक्टोरिया क्लॉक टावर आज भी है। काला आम चौराहा शहीदों की वीर भूमि है इसका वर्तमान में नामकरण शहीद भगत सिंह के नाम पर शहीद चौक है, यहाँ पर ब्रिटिश अधिकारी क्रांतिकारियों को सरेआम फाँसी पर लटकाते थे, इसी वजह से इसे क़त्ल-ए-आम चौराहा कहते थे, जो वर्तमान में अपभ्रन्शित होकर काला आम चौराहा हो गया। यहाँ अँग्रेजों ने हजारों बेकसूर लोगों का कत्लेआम किया था। नगर में स्वयंभू शिवलिंग मंदिर है, जिसका नाम राजराजेश्वर मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण राजा अनूपराय ने कराया था। नगर में तीन पुरातन मंदिर हैं :- भूतेश्वर महादेव, कालेश्वर मंदिर और देवी भवन मंदिर।
नगर के चौक बाज़ार में प्राचीन राम मंदिर है और वही मंदिर के सड़क पार स्वयंभू प्रकट हैं, सिद्ध हनुमान जी; जहाँ मंगलवार व शनिवार को भक्तों की भारी भीड़ रहती है।
गंगा तट पर बसा यह अनूपशहर छोटी काशी के नाम से भी प्रसिद्ध है। इस शहर को राजा अनूपराय ने बसाया था इसी नगर के अंतर्गत महर्षि भृगु जी की तपस्थली है, जिसे भृगु आश्रम के नाम से जानते है। महाकवि सेनापति की यह जन्मभूमि है।
यहाँ कर्णवास में प्रत्येक दिवस गंगा में स्नान कर के राजा कर्ण सवा मन स्वर्ण दान किया करते थे। यहाँ सिद्ध साधु बंगाली बाबा का भी आश्रम है, जहाँ आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द अपनी भारत यात्रा के दौरान आये थे।
बेलौन में सिद्ध शक्ति पीठ है। यहाँ माँ दुर्गा से मनोकामना मांगने पर मनोकामना पूरी होती ही है। यह स्थान डिबाई नगर व नरौरा उपनगर के मध्य स्थित है।
नरौरा परमाणु विद्युत ताप ग्रह के स्थापित होने से प्रसिद्ध है। आजादी के बाद गंगा पर प्रथम बैराज यहीं बना था जिसका उदघाटन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरु ने किया था।
जनपद के खुर्जा नगर के पास आयुर्वेद मेडिकल कॉलिज है जिसकी स्थापना वैद्य गोपाल दत्त शर्मा ने की है।
जनपद में बुलन्दशहर नगर राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आयुर्वेदिक चिकित्सक वैद्य श्री किशोर मोहन शर्मा जन्म-भूमि व कर्म-भूमि रहा है। जिनकी सन्तिति आज भी आयुर्वेद की निष्काम भाव से सेवा कर रही है।
जनपद के गाँव ऊटरावली में जन्मे बाबू बनारसी दास जी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे थे। अतरौली से माननीय कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री और वर्तमान में राजस्थान के राजयपाल हैं। भाजपानीत प्रदेश सरकार में माननीय वीरेंद्र सिंह सिरोही केबिनेट राजस्व मंत्री व माननीय महेन्द्र सिंह यादव केबिनेट माध्यमिक शिक्षा मंत्री रहे है। जनपद की पूर्व में रही अगौता विधान सभा क्षेत्र से निर्वाचित माननीय किरनपाल सिंह प्रदेश सरकार में केबिनेट बेसिक शिक्षा मंत्री रहे है।
जनपद में विधानसभा क्षेत्र :- (1). बुलंदशहर, (2). सिकंदराबाद, (3). शिकारपुर, (4). खुर्जा, (5). डिबाई, (6). अनूपशहर और (7). स्याना।
जनपद के गाँव ऊटरावली में जन्मे बाबू बनारसी दास जी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे थे। अतरौली से माननीय कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री और वर्तमान में राजस्थान के राजयपाल हैं। भाजपानीत प्रदेश सरकार में माननीय वीरेंद्र सिंह सिरोही केबिनेट राजस्व मंत्री व माननीय महेन्द्र सिंह यादव केबिनेट माध्यमिक शिक्षा मंत्री रहे है। जनपद की पूर्व में रही अगौता विधान सभा क्षेत्र से निर्वाचित माननीय किरनपाल सिंह प्रदेश सरकार में केबिनेट बेसिक शिक्षा मंत्री रहे है।
जनपद में विधानसभा क्षेत्र :- (1). बुलंदशहर, (2). सिकंदराबाद, (3). शिकारपुर, (4). खुर्जा, (5). डिबाई, (6). अनूपशहर और (7). स्याना।

Contents of these above mentioned blogs are covered under copyright and anti piracy laws. Republishing needs written permission from the author. ALL RIGHTS ARE RESERVED WITH THE AUTHOR.
संतोष महादेव-धर्म विद्या सिद्ध व्यास पीठ (बी ब्लाक, सैक्टर 19, नौयडा)