

मेहंदीपुर बालाजी
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISMBy :: Pt. Santosh Bhardwaj
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मेंहदीपुर बालाजी को दुष्ट आत्माओं से छुटकारा दिलाने के लिए दिव्य शक्ति से प्रेरित हनुमानजी का विश्व प्रसिद्द मंदिर है। यहाँ दूर-दूर से पीड़ितों को उपचार के लिये हनुमान जी महाराज जी शरण में लाया जाता है।गंभीर रोगियों को लोहे की जंजीर से बाँधकर मंदिर में लाया जाता है। भूत-प्रेत, ऊपरी बाधाओं के निवारणार्थ यहाँ आने वालों का ताँता लगा रहता है। ऐसे लोग यहाँ से बिना दवा और तंत्र-मंत्र के स्वस्थ होकर लौटते हैं।
मेहंदीपुर राजस्थान के दौसा जिले के पास दो पहाडिय़ों के बीच बसा हुआ है। यह मंदिर जयपुर-बांदीकुई-बस मार्ग पर जयपुर से लगभग 65 किलोमीटर दूर है।

शनिवार और मंगलवार को यहाँ आने वाले भक्तों की संख्या लाखों में पहुँच जाती है।


प्रसाद का लड्डू खाते ही रोगी व्यक्ति झूमने लगता है। भूत प्रेतादि स्वयं ही उसके शरीर में आकर चिल्लाने लगते हैं। कभी वह अपना सिर धुनता है, कभी जमीन पर लोटने लता है। पीड़ित लोग यहाँ पर अपने आप जो करते हैं वह एक सामान्य आदमी के लिए संभव नहीं है। इस तरह की प्रक्रियाओं के बाद वह बालाजी की शरण में आ जाता है, पर उसे हमेशा के लिए इस तरह की परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है। बालाजी महाराज के मंदिर में प्रातः और सायं लगभग चार-चार घंटे पूजा होती है।
कोतवाल श्री भैरव देव ::
कोतवाल श्री भैरव देव भगवान् शिव के अवतार हैं और उनकी ही तरह भक्तों की थोड़ी सी पूजा-अर्चना से ही प्रसन्न भी हो जाते हैं। भैरव महाराज चतुर्भुजी हैं। उनके हाथों में त्रिशूल, डमरू, खप्पर तथा प्रजापति ब्रह्मा का पांचवां कटा शीश रहता है । वे कमर में बाघाम्बर नहीं, लाल वस्त्र धारण करते हैं। वे भस्म लपेटते हैं। उनकी मूर्तियों पर चमेली के सुगंध युक्त तिल के तेल में सिन्दूर घोलकर चोला चढ़ाया जाता है।
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PRET RAJ SARKAR |
श्री बाल भैरव और श्री बटुक भैरव, भैरव देव के बाल रूप हैं। भक्तजन प्रायः भैरव देव के इन्हीं रूपों की आराधना करते हैं। भैरव देव बालाजी महाराज की सेना के कोतवाल हैं। बालाजी मन्दिर में इनके भजन, कीर्तन, आरती और चालीसा श्रद्धा से गाए जाते हैं। प्रसाद के रूप में इनको उड़द की दाल के वड़े और खीर का भोग लगाया जाता है। किन्तु भक्तजन बूंदी के लड्डू भी चढ़ाते हैं। सामान्य साधक भी बालाजी की सेवा-उपासना कर भूत-प्रेतादि उतारने में समर्थ हो जाते हैं। इस कार्य में बालाजी उसकी सहायता करते हैं। वे अपने उपासक को एक दूत देते हैं , जो नित्य प्रति उसके साथ रहता है।
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BHAINRON BABA |
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SHRI BALA JI |
चोला चढ़ जाने पर भी जलधारा बन्द नही होती है। इस तरह तीनों देवताओं की स्थापना हुई। श्री बाला जी महाराज, प्रेतराज सरकार, भैरो बाबा और जो समाधि वाले बाबा हैं उनकी स्थापना बाद में हुई। श्री बालाजी महाराज ने गोसाई जी महाराज को साक्षात दर्शन दिए थे। समाधि वाले बाबा ने ही राजा को अपने स्वपन की बात बताई। राजा को यकीन नही आया। राजा ने मूर्ति को देखकर कहा ये कोई कला है। इससे बाबा की मूर्ति अन्दर चली गयी। तो राजा ने खुदाई करवायी तब भी मूर्ति का कोई पता नही चला। तब राजा ने हार मानकर बाबा से क्षमा माँगी और कहा हे श्री बाला जी महाराज! हम अज्ञानी हैं मूर्ख हैं। हम आपकी शक्ति को नहीं पहचान पाये हमें अपना बच्चा समझ कर क्षमा कर दो। तब बालाजी महाराज की मूर्तियाँ बाहर आईं। मूर्तियाँ बाहर आने के बाद राजा ने गोसाई जी महाराज की बातों पर यकीन किया और गोसाई जी महाराज को पूजा का भार ग्रहण करने की आज्ञा दी। राजा ने श्री बाला जी महाराज जी का एक विशाल मन्दिर बनवाया। गोसाई जी महाराज ने श्री बाला जी महाराज जी की बहुत वर्ष तक पूजा की, जब गोसाई जी महाराज वृद्धा अवस्था में आये तो उन्होंने श्री बालाजी महाराज की आज्ञा से समाधि ले ली। उन्होंने श्री बाला जी महाराज से प्रार्थना की कि श्री बाला जी महाराज मेरी एक इच्छा है कि आपकी सेवा और पूजा का भार मेरा ही वंश करे। तब से आज तक गोसाई जी महाराज का परिवार ही पूजा का भार सम्भाल रहे हैं। यहाँ पर लगभग 1,000 वर्ष पहले बाला जी प्रकट हुए थे। बालाजी में अब से पहले 11 महंत जी सेवा कर चुके हैं। इस तरह से बालाजी की स्थापना हुई। ये तो कलयुग के अवतार हैं। संकट मोचन हैं। मेहंदीपुर के आस-पास के इलाके में संकट वाले आदमी बहुत कम हैं। क्योंकि लोगों के मन में बालाजी के प्रति बहुत आस्था है। कहते हैं कि जिनके मन में विश्वास है, बालाजी महाराज उन्ही के संकट काटते हैं।
It was during 1994 when one encountered a person who just touched the hand and said a lot about the future, which was almost correct. One himself is a Palmist. He asked one to visit Bala Ji. It was accepted. After taking bath in the early morning, one had the opportunity to see all that described above. Prayers were attended with honour and respect to the deity. It was noticed that some girls and perfectly normal people were recreating the drama as if they were affected by wicked souls. When they were looked by one, they quietly disappeared.


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संतोष महादेव-धर्म विद्या सिद्ध व्यास पीठ (बी ब्लाक, सैक्टर 19, नौयडा)